Monday, April 20, 2009

अगर यही जीना है तो फिर मरना क्या है

शहर की इस दौड़ में दोड़ के करना क्या है..?
गर यही जीना है तो फिर मरना क्या है...!!?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है...,
भूल गए भीगते हुए टेहेलना क्या है..!!

सीरियल के किरदारों का सारा हाल है मालुम..,
पर माँ का हाल पूछने की फुर्सद कहा है..!!

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यों नहीं..?
१०८ है चैनल पर दिल बहेलते क्यों नहीं..??

इन्टरनेट से दुनिया के तो टच में है..,
लेकिन पड़ोस में कौन रहता है जानते तक नहीं..!!

मोबाईल, लैण्ड लाइन सब की भरमार है..,
लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहा है..??

कब डूबता हुए सूरज को देखा था याद है..?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है..!!??

तो फिर दोस्तों, शहर की इस दौड़ में दोड़ के करना क्या है..?
अगर यही जीना है तो फिर मरना क्या है...!!

- Loveable Poet

अरे हमें तो अपनों ने लूटा,

अरे हमें तो अपनों ने लूटा,
गैरों में कहाँ दम था.
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,
उसका
पेट्रोल ख़त्म था.
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था.
मुझे
डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.
मुझे तो बम से उड़ाया,
गोली में कहाँ दम था.
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था

- Loveable Poet

 

Sunday, April 19, 2009

निष्काम मुहब्बत

सदियों से लोग इस बात पर ताज्जुब करते रहे हैं कि कोई किसी अनजान व्यक्ति के लिए क्यों मर मिटने तक को तैयार हो जाता है। क्यों कोई नौजवान ऐसी लड़की के प्रति आकर्षित हो जाता है, जिसे वह जानता तक नहीं? बदले में कुछ पाने की इच्छा के बगैर क्यों उसके दिल में दूसरे के लिए बेपनाह प्यार पैदा हो जाता है? अक्स हमें किसी से इतना लगाव हो जाता है कि हम बिना उससे कुछ पाने की चाहत के भी उसकी पूरी केयर करते हैं, उसकी देखभाल करते हैं। इस निष्काम मुहब्बत का राज क्या है? अब वैज्ञानिकों ने इसका जवाब ढूंढ लिया है।

ऐसी भावना हमारे दिमाग के सात अलग-अलग हिस्सों की एकसाथ एक्टिव होने से पैदा होती है। प्यार के इस सर्वोच्च स्वरूप में कोई व्यक्ति किसी ऐसे इंसान के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है, जिससे उसका कोई खून का रिश्ता भी नहीं होता और बदले में कुछ पाने की चाहत भी पैदा नहीं होती। मॉन्ट्रियाल यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर रिसर्च इनटू न्यूरोफिजियॉलजी ऐंड कॉग्निशन की प्रफेसर मारियो बियोरिगार्ड की टीम ने पता लगाया कि रोमांटिक लव में दिमाग के सिर्फ तीन हिस्से काम करते हैं जबकि निष्काम मुहब्बत में सात हिस्से। कभी-कभार रोमांटिक या सेक्सुअल लव इस पर थोड़ा-बहुत हावी हो सकता है, लेकिन वह असली प्यार को डिगा नहीं पाता।

इसका पता लगाने के लिए प्रो. मारिया ने ऐसे लोगों को चुना, जो उन लोगों की देखभाल और सेवा करते थे जिन्हें पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती थी। उन्हें पैसे काफी कम मिलते थे, लेकिन फिर भी उनका प्यार कम नहीं होता था। इन लोगों के दिमाग की एमआरआई (मैग्नेटिक रिसॉनेंस इमेजिंग) से पता लगा कि उनके दिमाग के सात हिस्से से ये निष्काम भावनाएं पैदा होती हैं। इनमें से तीन वे हिस्से थे, जो रोमांटिक लव के लिए जिम्मेदार थे। प्रो. मारिया ने देखा कि निष्काम प्रेम की भावना आते ही दिमाग के कुछ हिस्से एक्टिव हो गए और उन्होंने डोपामाइन नाम का केमिकल रिलीज करना शुरू कर दिया। यह केमिकल हमें आनंद, खुशी, बदले में कुछ पाने की चाहत जैसी भावनाओं को पैदा करता है। इससे नतीजा निकाला गया कि निष्काम प्रेम में समर्पण की भावना गहरे भावनात्मक संबंध बनाने में मदद करती है। ऐसे ही अटूट रिश्ते की बदौलत मानव जाति इतनी विकसित हो पाई है।

वैज्ञानिक निष्काम मुहब्बत का राज खोलने के लिए इसलिए भी बेताब थे क्योंकि अपने सगे-संबंधियों के प्रति प्यार तो हर किसी को होता है। खासकर पति/पत्नी या बच्चे, जिनके जरिए हमारे जीन अगली पीढ़ी तक पहुंचते हैं। लेकिन उस प्यार की वजह क्या है, जिसमें बिना बदले में कुछ पाने की इच्छा के व्यक्ति को दूसरे से लगाव हो जाता है? अब इस राज से पर्दा उठ गया है।

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