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Tuesday, November 8, 2011

Dulhan Ka Laal Joda

                               

Aaj Dulhan Ke Laal Jode Mein,

Use Uski Saheliyon Ne Sajaya Hoga…

Meri Jaan Ke Gore Haathon Per

Sakhiyon Ne Mehndi Ko Lagaya Hoga…

Bahut Gehra Chadega Mehndi Ka Rang...

Us Mehndi Mein Usne Mera Naam Chupaya Hoga…

Reh Reh Ker Ro Padegi

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Jab Jab Usko Khayal Mera Aaya Hoga…

Khud Ko Dekhgi Jab Aaine Mein,

To Aks Usko Mera Bhi Nazar Aaya Hoga…

Lag Rahi Hogi Balaa Si Sunder Woh,

Aaj Dekh Ker Usko Chaand Bhi Sharmaya Hoga…

Aaj Meri Jaan Ne

Apne Maa Baap Ki Izzat Ko Bachaya Hoga…

Usne Beti Hone Ka

Doston Aaj Har Farz Nibhaya Hoga…

Majboor Hogi Woh Sabse Jyada,

Sochta Hoon Kis Tarah Usne Khud Ko Samjhaya Hoga…

Apne Haathon Se Usne

Hamare Prem Ke Khaton Ko Jalaya Hoga…

Khud Ko Majboot Bana Ker Usne

Apne Dil Se Meri Yaadon Ko Mitaya Hoga…

Toot Jaayegi Tasveer Meri,

Jab Uski Maa Ne Tasveer Ko Table Se Hataya Hoga…

Ho Jaayenge Laal Mehndi Waale Haath,

Jab Un Kaanch Ke Tukdon Ko Usne Uthaya Hoga…

Bhooki Hogi Woh Jaanta Hoon Mein,

Kuch Na Us Pagli Ne Mere Bageir Khaya Hoga…

Kaise Sambhala Hoga Khudko

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Jab Use Fairon Ke Liye Bulaya Hoga…

Kaampta Hoga Jism Uska,

Haule Se Pandit Ne Haath Uska Kissi Or Ko Pakdaya Hoga…

Mein To Majboor Hoon Pata Hai Use,

Aaj Khud Ko Bhi Bebas Sa Usne Paaya Hoga…

Ro Ro Ke Bura Haal Ho Jaayega Uska,

Jab Waqt Uski Vidayi Ka Aaya Hoga…

Bade Pyaar Se Meri Jaan Ko

Maa Baap Ne Doli Mein Bithaya Hoga…

Ro Padegi Aatma Bhi

Dil Bhi Cheekha Or Chilaya Hoga…

Aaj Apne Maa Baap Ke Liye

Usne Gala Apni Khushiyon Ka Dabaya Hoga…

Reh Na Paayegi Juda Hoker Mujhse

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Darr Hai Ki Zehar Chupke Se Usne Khaya Hoga…

Doli Mein Baithi Ik Zinda Laash Ko

Char Kandho Per Saharon Ne Uthaya Hoga…

Monday, October 10, 2011

Abhi Abhi To Pyaar Ka Computer Kiya Hai Chaaloo

         

             

Abhi Abhi To Pyaar Ka Computer Kiya Hai Chaaloo

Aab Main Dil Ki Hard Disk Pe Aur Kitni Files Daaloo

Apne Chehare Se Ruswaai Ka Error To Hatao

Ai Jaaneman Apne Dil Ka Password To Batao

Woh To Hum Hain Jo Aap Ki Chahat Dil Main Rakhte Hain

Warna Aap Jaise Kitney Hi Softwares Bazaar Main Bikte Hain

Roz Raat Ko Aap Mere Sapne Main Aate Ho

Mere Pyar Ko Mouse Bana Ke Ungaliyon Pe Nachaate Ho

Tere Pyar Ka Email Mere Dil Ko Lubhataa Hai

Par Beech Main Tere Baap Ka Virus Aataa Hai


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Aur Karvaaoge Humse Kitnaa Intezaar

Hamaare Dil Ki Site Pe Kabhi Enter To Maro Yaar

Apni Insult Ka Badalaa Dekhna Main Kaise Loonga

Jaaneman Tere Baap Ko Shift Delete Kar Doonga

Aap Jaiso Ke Liye Dil Ko Cut Ker Diya Karte Hai

Warna Baaki Cases Main To Copy Paste Kiya Karte Hai

Aapka Hasnaa Aap Ka Chalnaa Aap Ki Woh Style

Aapke Adaaon Ki Hamne Save Hai Kar Li File

Wednesday, July 13, 2011

Bin fere hum tere...

            

Saj Nahin Baaraat To Kya? Ayi Na Milan Ki Raat To Kya?

Byah Kiya Teri Yaadon Se, Gat Bandhan Tere Waadon Se,

Bin Phere Hum Tere, Bin Phere Hum Tere

Tu Ne Apna Maan Liya Hai, Hum The Kahan Iss Kaabil,

Wo Ehsaan Kiya Jaan Dekar, Jis Chukana Mushkil,

Deha Bani Na Dulhan To Kya, Pehne Nahin Kangan To Kya,

Bin Phere....

Tan Ke Rishte Toot Bhi Jayein, Toote Na Man Ke Bandhan,

Jisne Diya Humko Apnapan, Usi Ka Hai Ye Jeewan,

Baandhh Liya Man Ka Bandhan, Jeewan Hai Tujh Par Arpan,

Bin Phere...

Aanch Na Aye Naam Pe Tere, Ankh Bhale Hi Jeewan Ho,

Apne Jahan Me Aag Lagale, Tera Jahan Jo Roshan Ho,

Tere Liye Dil Tod Le Hum, Ghar Kya Jag Bhi Chhod De Hum,

Bin Phere....

Jiska Hamein Adhikaar Nahin Tha, Uska Bhi Balidaan Diya,

Acche Bure Ko Hum Kya Jane, Jo Bhi Kiya Tere Liye Kiya,

Lakh Rahe Hum Sharminda, Rahe **Magar** Mamta Zinda,

Bin Phere...

Monday, February 28, 2011

शायद ज़िंदगी बदल रही है!!

                                                          

                                         

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया
बहुत बड़ी हुआ करती थी..

मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक

का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां,
चाट के ठेले, जलेबी की दुकान,
बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप",

"विडियो पार्लर" हैं,
फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...

.
.
.

जब मैं छोटा था,
शायद शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं...

मैं हाथ में पतंग की डोर पकड़े,

घंटों उड़ा करता था,
वो लम्बी "साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल,

वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है

और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..

.

.
.

जब मैं छोटा था,

शायद दोस्ती
बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुजूम बनाकर खेलना,

वो दोस्तों के घर का खाना,
वो लड़कियों की बातें,
वो साथ रोना...
अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है,

जब भी "traffic signal" पे मिलते हैं
"Hi" हो जाती है,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
होली, दीवाली, जन्मदिन,

नए साल पर बस SMS
आ जाते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..

.

.

जब मैं छोटा था,
तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग,
पोषम पा, कट केक,
टिप्पी टीपी टाप.
अब
Internet, office,
से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद ज़िन्दगी बदल रही है.

.
.
.

जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है..
जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर
बोर्ड पर लिखा होता है...
"मंजिल तो यही थी,
बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी
यहाँ आते आते"

.
.
.

ज़िंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.
..
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है..
अब बच गए इस पल में..
तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं..
कुछ रफ़्तार धीमी करो,
मेरे दोस्त,

और इस ज़िंदगी को जियो...
खूब जियो मेरे दोस्त,
और औरों को भी जीने दो..

Saturday, February 5, 2011

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

        

1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.

4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.

5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का 'लाफिंग बुद्धा' था.

6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.

7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.

8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.

9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और व??रू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

Thursday, November 4, 2010

just for knowledge

                 

आज हम एक अजीबो गरीब प्राणी के बारे में पढायेंगे . . .

इस जंतु का नाम है "GirlFriend" . . . . . .

ये अक्सर "Boyfriend" के साथ पाई जाती है !

इनका पोस्टिक आहार "Boyfriend" का भेजा होता है !

इनको अक्सर नाराज होने का नाटक करते हुए देखा जा सकता है ! पर अगर पैसे खर्च

किये जाये तो फीर नाटक ख़त्म हो जाता है...


इस प्राणी का सबसे खतरनाक हथियार रोना और इमोशनली ब्लैक मेल करना होता है !

गर्ल फ्रेंड से ब्रेक अप पर टेंशन नाम की बीमारी हो जाती है, जिसका कोई इलाज

नहीं.. ये ही एक ऐसा प्राणी है जिसपे कोई विस्वास नहीं करता है...

गर्ल फ्रेंड के लिए बॉय फ्रेंड कुछ भी कर सकता है, यहाँ तक की हस्ते हस्ते

कुत्ता भी बनता है... इस प्राणी में बहुत सारे अवगुण फीर भी ये प्राणी इतनी

आसानी से नहीं मिलता है, ये प्राणी भाव बहुत खाता है, पर इस प्राणी के पास होता

कुछ भी नहीं है जो वास्तविक हो जिसपे भाव खाया जा सके..... ये प्राणी नर प्राणी

को बर्बाद करने में कोई भी कसर नहीं छोरता है... ये प्राणी रुपया को आसानी से

सूंघ सकता है......

so be careful...... -

Sunday, August 29, 2010

अगर रख सको तो...

             

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,

खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,

रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,

वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....

सबको प्यार देने की आदत है हमें,

अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,

कितना भी गहरा जख्म दे कोई,

उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...

इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,

सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,

जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"

जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,

आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,

दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,,,,

"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ कहानी हूँ मैं

 

- Loveable Poet                          Give Comment

Sunday, August 1, 2010

ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए

Dost.........

ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,

कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,

मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,

अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए

दोस्ती सच्ची हो तो वक़्त रूक जाता है
आसमा लाख ऊंचा ही मगर झुक जाता है
दोस्ती में दुनिया लाख बने रूकावट
अगर दोस्त सच्चा तो खुदा भी झुक जाता है.

दोस्ती वो एहसास है जो मिटता नहीं
दोस्ती वो पर्वत है जो झुकता नहीं
इसकी कीमत क्या पूछो हमसे
ये वो अनमोल मोती है जो बिकता नहीं

सच्ची है दोस्ती आजमा के देखो
करके यकीन मुझपे मेरे पास आके देखो
बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग कभी
चाहे जितनी बार आग में जला कर के देखो


दर्द जितना सहा जाये उतना ही सहना
दिल जो लग जाये वो बात न कहना
मिलते है हमारे जैसे दोस्त बहुत कम इसलिये
कभी न GOOD BYE मत कहन

- Loveable Poet                          Give Comment

Sunday, May 2, 2010

Mil sako toh mil jana kabhi yahin !!

Iss badi si duniya mein har shakhs ko choti si Ek Talaash hoti hai…

Kisi ko dost ki.. kisi ko pyaar ki.. kisi ko chahat ki ..

aur kisi ko APNO ki…

Bass ek Apna joh sirf Apna ho ..shayad aur kuch bhi nahii!!


Yeh duniya hai bahut badi..

tum kaha me kaha pata nahi

Ek talash me nikla hoon

milogi tum ya nahi..

Yahan ho tum wahan ho tum

kidhar ho tum pata nahi

Dur se dekha to pass thi tum

Pass aaya toh Dur huye tum..

Dil doondta hai tumhe yahin kahin

bata toh doh milogi tum ya nahi

Ek talash main hoon aaj bhi

Mil sako toh mil jana kabhi yahin !!

 

- Loveable Poet                          Give Comment

Tuesday, March 30, 2010

खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते

                                    

खुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते

सदा खुशियों से भरे हों तेरे रास्ते

हंसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह

खुशबू फूल का साथ निभाती है जिस तरह

सुख इतना मिले की तू दुःख को तरसे

पैसा शोहरत इज्ज़त रात दिन बरसे

आसमा हों या ज़मीन हर तरफ तेरा नाम हों

महकती हुई सुबह और लहलहाती शाम हो

तेरी कोशिश को कामयाबी की आदत हो जाये

सारा जग थम जाये तू जब भी जाये

कभी कोई परेशानी तुझे न सताए

रात के अँधेरे में भी तू सदा चमचमाए

दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये

खुशियाँ तेरे दर से न जाये

इक छोटी सी अर्जी है मान लेना

हम भी तेरे दोस्त हैं ये जान लेना

खुशियों में चाहे हम याद आए न आए

पर जब भी ज़रूरत पड़े हमारा नाम लेना

इस जहाँ में होंगे तो ज़रूर आएंगे

दोसती मरते दम तक निभाएंगे

Tuesday, January 26, 2010

बसन्त पंचमी

          

वसन्त पंचमी  एक भारतीय त्योहार है, इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

प्राचीन भारत में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था।जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना मकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।

बसन्त पंचमी कथा सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों आ॓र मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है- प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन पतंग उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा।

पर्व का महत्व वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं

पौराणिक महत्व इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है। ऐतिहासिक महत्व वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिध्द ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया। चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाणता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान॥ पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंद्रबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।

वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा? बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा।

Thursday, January 14, 2010

Uski Gali Mein Phir Mujhe Ek Baar Le Chalo

Shayad ye mera weham ho mera khayal ho

Mumkin hai mere baad hi mera malal ho

Pachhta raha ho ab mujhe dar se utha ke wo

Baitha ho meri yaad mein ankhein bichha ke wo

Usne bhi to kiya tha mujhe pyar le chalo

Uski gali mein phir mujhe ek baar le chalo

Uski gali ko janta pehchanta hu main

Wo meri qatl gaah hai ye manta hu main

Uski gali mein maut muqaddar ki baat hai

Shayad ye maut ahle wafa ki hayaat hai

Main khud bhi maut ka hu talabgaar le chalo

Uski gali mein phir mujhe ek baar le chalo

Deewana keh ke logon ne har baat taal di

Duniya ne mere paon mein zanjeer daal di

Chaho jo tum to mera muqaddar sanwar do

Yaaron ye mere paon ki bedee utaar do

Ya kheenchte huwe sare bazar le chalo

Us ki gali me phir mujhey ek baar le chalo

Tuesday, December 15, 2009

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

 

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है

भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

 

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम

पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

 

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?

108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

 

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,

लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

 

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,

लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

 

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?

कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

 

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है

जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?

- Loveable Poet                    Give Comment

Monday, December 14, 2009

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

 

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

मै उगता सुरज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की मुस्कान लिखूँ,

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ,

मै आपको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँखों की मै रात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ,

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ,

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आँखों की बरसात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

गीता का अर्जुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰

मै एक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰ या मजहब की आँखें चार लिखूँ॰॰॰

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ..

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Friday, December 4, 2009

दोस्तो से है,

   

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,

उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,

सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,

उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,

ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,

आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,

आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,

अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं

    

खुशी भी दोस्तो से है,

गम भी दोस्तो से है,

 

तकरार भी दोस्तो से है,

प्यार भी दोस्तो से है,

 

रुठना भी दोस्तो से है,

मनाना भी दोस्तो से है,

  

बात भी दोस्तो से है,

मिसाल भी दोस्तो से है,

 

नशा भी दोस्तो से है,

शाम भी दोस्तो से है,

 

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,

जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,

 

मौहब्बत भी दोस्तो से है,

इनायत भी दोस्तो से है,

 

काम भी दोस्तो से है,

नाम भी दोस्तो से है,

  

ख्याल भी दोस्तो से है,

अरमान भी दोस्तो से है,

  

ख्वाब भी दोस्तो से है,

माहौल भी दोस्तो से है,

  

यादे भी दोस्तो से है,

मुलाकाते भी दोस्तो से है,

  

सपने भी दोस्तो से है,

अपने भी दोस्तो से है,

  

या यूं कहो यारो,

अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से ..

 

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Sunday, September 20, 2009

Chalo ek bar phir se ajnabi banjaen, hum dono

Chalo ek bar phir se ajnabi banjaen, hum dono
Na mai tum se ummed rakhon dil nawazi ki

Na tum dekho mujhe galat andaz nazron se
Na mere dil ki dhadkan badhe teri baton se

Na zaaher ho teri kashmaksh ka raaz ankhon se
Tumhain bhi koi uljhan rokti hai pesh qadmi se

Mujhe bhi log kahete hai ke ye jalwe paraye hain
Mere humrah bhi ruswaien hain meri marzi ki

Tumhare sath bhi guzri huwi raton ke saye hain
Mere sath bhi guzre huwe zaqmon ke saye hain

Ta’arrfu rog banjaye to uska bholna bahetar
Ta’alluq boj ban jaye to uska tudna bahetar

Wo afsana jise anjam tak lana na mumkin ho
Use ek qobsurat mod dekar chodna bahetar

Chalo ek bar phir se ajnabi banjaen, hum dono…

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Friday, September 11, 2009

Ye gazlo ki Duniya Bi Ajib hai

 

Ye gazlo ki Duniya Bi Ajib hai,
Yaha Aansu ka bhi jam banaya jata Hai
Keh bhi Dete Agar Dard-e-dastan,
phir bhi Wah Wah Sunaya Jata hai

Bade hi sarfrosh hua karte hai
Hakikato ki aaghosh huwa krte hai
Meri chup se naraz na hua karo
Gehre samunder hamesha khamos Hua Krte Hai.

Kisi Ke Ek Aansu Par Hazaraun Dil Tadapte Hai
Kisi Ka Umr Bhar Rona Yun Hi Bekar Jata Hai

Dil main tamanao ko dabana shikh liya
Gham ko ankho main chhupana shikh liya
Mere chehre se koi bat zahir na ho
Isliye Daba ke honto ko muskrana sekh liya

- Loveable Poet

Sunday, September 6, 2009

કબર ક્યાં રાખીછે

પ્રેમની એમણે કદર ક્યાં રાખી છે ?

દિલની એમણે ખબર ક્યાં રાખી છે ?

મે કહ્યું મરી જઇશ તારા પ્રેમમાં,

એમણે પૂછયું કબર ક્યાં રાખીછે ...

 

“તમે પૂછશો નહી કે અમને કેમ છે,

અમે સારા છીએ એ તમારો વહેમ છે,

બરબાદ તો થઈ ગયા હતા તમારા પ્રેમમા,

પણ થોડો અમારા પર ખુદાનો રહેમ છે.”

 
- Loveable Poet

Thursday, August 27, 2009

wapas lautne ka man karta hai

This one is dedicated to my friend:

"bas ek bar wapas lautne ka man karta hai

Aaj har wo din jeene ko man karta hai.

kuch buri batein jo ab acchi lagti hain

kuch batein jo kal ki hi batein lagti hain.

abki baar class attend karne ka man karta hai

Dopahar ki class mein aakhein band karne ko man karta hai.

Doston ke room ki wo baatein yaad aati hai

exam ke time pe wo hasi mazak yaad aati hai,

college ke paas Jaggi ka dhabe ki yaad aati hai

tab ki bekar lagne wali photos chehre pe hasi laati hai.

Apni galtiyon pe tumse daat khana yaad aata hai.

Par tumhari galti dekhne ka ab bhi mann karta hai.

Ek aisi subah uthne ka mann karta hai

bas ek bar wapas lautne ka man karta hai.

bas ek bar aur

wapas lautne ka man karta hai."

- LoveablePoet

Monday, August 24, 2009

ગમે છે...

ધંધો ન કોઇ ગમતો, ના નોકરી ગમે છે,

કે જ્યારથી, અમોને એક છોકરી ગમે છે !

એનો જ એક ચહેરો ઘૂમ્યાં કરે મગજમાં,

ના ઘર મને ગમે છે, ના ઓસરી ગમે છે !

ટી શર્ટ, જીન્સ પહેરેલી, બહેનપણીઓ વચ્ચે -

પંજાબી ડ્રેસ સાદો, ને ઓઢણી ગમે છે.

બાબત એ ગૌણ છે કે, એમાં લખેલ શું છે,

રાખે ગુલાબ જેમાં, એ ચોપડી ગમે છે.

સખીઓની સંગ જ્યારે એ ખાય શીંગ ખારી,

ફેંકે છે જે અદાથી, એ ફોતરી ગમે છે. ...

- LoveablePoet

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