Monday, December 14, 2009

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

 

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

मै उगता सुरज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की मुस्कान लिखूँ,

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ,

मै आपको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँखों की मै रात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ,

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ,

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आँखों की बरसात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

गीता का अर्जुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰

मै एक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰ या मजहब की आँखें चार लिखूँ॰॰॰

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ..

- Loveable Poet                                   Give Comment

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