Thursday, January 14, 2010

Uski Gali Mein Phir Mujhe Ek Baar Le Chalo

Shayad ye mera weham ho mera khayal ho

Mumkin hai mere baad hi mera malal ho

Pachhta raha ho ab mujhe dar se utha ke wo

Baitha ho meri yaad mein ankhein bichha ke wo

Usne bhi to kiya tha mujhe pyar le chalo

Uski gali mein phir mujhe ek baar le chalo

Uski gali ko janta pehchanta hu main

Wo meri qatl gaah hai ye manta hu main

Uski gali mein maut muqaddar ki baat hai

Shayad ye maut ahle wafa ki hayaat hai

Main khud bhi maut ka hu talabgaar le chalo

Uski gali mein phir mujhe ek baar le chalo

Deewana keh ke logon ne har baat taal di

Duniya ne mere paon mein zanjeer daal di

Chaho jo tum to mera muqaddar sanwar do

Yaaron ye mere paon ki bedee utaar do

Ya kheenchte huwe sare bazar le chalo

Us ki gali me phir mujhey ek baar le chalo

Tuesday, December 15, 2009

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

 

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है

भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

 

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम

पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

 

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?

108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

 

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,

लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

 

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,

लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

 

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?

कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

 

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है

जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?

- Loveable Poet                    Give Comment

Monday, December 14, 2009

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

 

क्या लिखूँ कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

मै उगता सुरज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की मुस्कान लिखूँ,

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ,

मै आपको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँखों की मै रात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ,

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ,

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आँखों की बरसात लिखूँ॰॰॰॰॰॰

गीता का अर्जुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰

मै एक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰ या मजहब की आँखें चार लिखूँ॰॰॰

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ..

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